जनपद गाजीपुर में NPS और UPS पेंशन स्कीम के खिलाफ आक्रोश मार्च

जनपद गाजीपुर  में NPS और UPS पेंशन स्कीम के खिलाफ आक्रोश मार्च


उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर में NPS और UPS के खिलाफ आक्रोश मार्च:-

पेंशन बचाओ अटेवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष एवं NMOPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विजय कुमार 'बन्धु' के आवाहन पर गाजीपुर अटेवा मंच के जिलाध्यक्ष सरफराज खान के निर्देशन पर 26 सितम्बर 2024 को भाँवरकोल ब्लॉक के अटेवा मंच के अध्यक्ष मु. आलिम हुसैन के नेतृत्व में ब्लॉक भाँवरकोल के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन-

           26 सितंबर 2024 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) और ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) के बीच विवाद को लेकर एक बड़ा आक्रोश मार्च आयोजित होने जा रहा है। भाँवरकोल ब्लॉक के कर्मचारियों के इस विरोध मार्च का नेतृत्व अटेवा (आल टीचर्स एम्प्लाईज वेलफेयर एसोसिएशन) मंच के ब्लॉक अध्यक्ष मु. आलिम हुसैन करेंगे। यह विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (NPS) एवं यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के खिलाफ हो रहा है, जिसमें पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से लागू करने की मांग प्रमुख है।

एनपीएस और ओपीएस का विवाद

नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) को 2004 में नई भर्तियों के लिए लागू किया गया था, जिसमें सरकार और कर्मचारियों दोनों का योगदान अनिवार्य है। यह स्कीम शेयर बाजार पर आधारित होती है, जिसका लाभांश कर्मचारियों की पेंशन राशि पर निर्भर करता है। लेकिन इसकी अस्थिरता और अनिश्चितता ने कर्मचारियों के बीच व्यापक असंतोष पैदा किया है।

वहीं, पुरानी पेंशन योजना (OPS) में कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% तक DA के साथ पेंशन के रूप में मिलता था, जो पूरी तरह से सरकारी खजाने से वित्तपोषित होता था। OPS के तहत रिटायरमेंट के बाद पेंशन की राशि स्थिर और सुनिश्चित होती थी, जबकि NPS में भविष्य की पेंशन राशि पूरी तरह से बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर होती है।

अटेवा मंच की भूमिका

अटेवा मंच ने हमेशा कर्मचारियों के हितों के लिए आवाज उठाई है। मंच के अध्यक्ष मु. आलिम हुसैन के नेतृत्व में यह विरोध मार्च NPS के खिलाफ कर्मचारियों की बढ़ती नाराजगी को व्यक्त करेगा। आलिम हुसैन का कहना है कि एनपीएस कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, और ओपीएस ही कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य

26 सितंबर 2024 को होने वाले इस आक्रोश मार्च का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश सरकार पर दबाव बनाना है ताकि वह एनपीएस को समाप्त कर ओपीएस को फिर से लागू करे। कर्मचारियों का मानना है कि एनपीएस के तहत उनकी सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन न केवल अस्थिर है, बल्कि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा की गारंटी भी नहीं देती।
मु. आलिम हुसैन का कहना है, “यह समय की मांग है कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) को तुरन्त बहाल किया जाए, ताकि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद सम्मानजनक जीवन यापन के लिए पर्याप्त पेंशन मिल सके।”

आक्रोश मार्च की तैयारी

मु. आलिम हुसैन के नेतृत्व में अटेवा मंच ने इस विरोध मार्च के लिए व्यापक तैयारी की है। इस प्रदर्शन में सैकड़ों सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, और अन्य संगठनों के लोग शामिल होंगे। यह मार्च गाजीपुर के विकास भवन से प्रारम्भ होकर विभिन्न प्रमुख स्थानों से होते हुए जिला मुख्यालय (सरजू पाण्डेय पार्क) तक पहुंचेगा। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।
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कर्मचारियों की मुख्य मांगें

1.  NPS और UPS को खत्म करना : कर्मचारियों का मानना है कि NPS /UPS के तहत मिलने वाली पेंशन राशि भविष्य में उनके जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं है। इसकी वजह से रिटायरमेंट के बाद उनकी आर्थिक स्थिति अस्थिर हो सकती है।

2.  OPS की बहाली : कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से लागू करे, जिसमें कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन के आधार पर निश्चित पेंशन मिले।
3. समान पेंशन व्यवस्था : कर्मचारियों का मानना है कि पुरानी और नई भर्तियों के बीच पेंशन की असमानता को खत्म किया जाए और सभी को एक समान पेंशन सुविधा प्रदान की जाए।

सरकार की प्रतिक्रिया

अब तक उत्तर प्रदेश सरकार ने एनपीएस को खत्म करने या ओपीएस को बहाल करने के किसी भी कदम की घोषणा नहीं की है। हालांकि, हाल ही में कई राज्यों ने एनपीएस और यूपीएस के खिलाफ आंदोलन को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, और पंजाब जैसे राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे उत्तर प्रदेश के कर्मचारी भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी।

एनपीएस के खिलाफ विरोध का बढ़ता प्रभाव

एनपीएस के खिलाफ यह विरोध सिर्फ गाजीपुर या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। पूरे देश में एनपीएस के खिलाफ सरकारी कर्मचारियों की आवाजें उठ रही हैं। अटेवा मंच ने इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बड़े आंदोलन की तैयारी भी शुरू कर दी है।
मु. आलिम हुसैन का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं सुना, तो यह आंदोलन और तेज होगा और सरकार के खिलाफ व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

कर्मचारियों की चिंता

एनपीएस के तहत पेंशन राशि पूरी तरह से शेयर बाजार के प्रदर्शन पर आधारित होती है, जिससे कर्मचारियों को यह डर सताता है कि अगर बाजार गिरता है, तो उनकी पेंशन राशि भी कम हो सकती है। इसके अलावा, पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत मिलने वाली पेंशन राशि को कर्मचारी अधिक सुरक्षित मानते थे, क्योंकि यह उनकी सेवा के वर्षों और वेतन के आधार पर निर्धारित होती थी।
सरकारी कर्मचारी और शिक्षक वर्ग, जिनका योगदान समाज में अहम है, उन्हें लगता है कि एनपीएस या यूपीएस उनके साथ न्याय नहीं कर रहा है।मु. आलिम हुसैन के अनुसार, “एनपीएस कर्मचारियों के साथ धोखा है। इसका असर भविष्य में हमारे परिवारों पर पड़ेगा, और हम इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

26 सितंबर 2024 का आक्रोश मार्च

26 सितंबर 2024 को गाजीपुर में होने वाला यह विरोध मार्च एनपीएस के खिलाफ कर्मचारियों की नाराजगी को और भी मुखर करेगा। प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। आलिम हुसैन और अटेवा मंच का उद्देश्य इस मार्च के जरिए सरकार पर इतना दबाव बनाना है कि वह एनपीएस को खत्म कर ओपीएस को बहाल करे।

निष्कर्ष

एनपीएस के खिलाफ गाजीपुर में होने वाला यह आक्रोश मार्च कर्मचारियों की आवाज को बुलंद करेगा। अटेवा मंच के ब्लॉक अध्यक्ष मु. आलिम हुसैन के नेतृत्व में यह विरोध प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
कर्मचारियों की मांगें स्पष्ट हैं: एनपीएस को खत्म करके ओपीएस को फिर से लागू किया जाए ताकि रिटायरमेंट के बाद उनकी पेंशन सुरक्षित और सुनिश्चित हो सके।
सरकार को अब इस मुद्दे पर ध्यान देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों की मांगें पूरी हों, ताकि उनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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