पुरानी पेंशन योजना का दोहरा रवैया | Old Pension Scheme vs Politician Pension Reality

पुरानी पेंशन पर सरकार का दोहरा रवैया – नेताओं की पेंशन बढ़ी, कर्मचारियों की अनदेखी क्यों?

पुरानी पेंशन योजना का दोहरा रवैया | Old Pension Scheme vs Politician Pension Reality


जब भी पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme - OPS) की बहाली की मांग की जाती है, सरकार तुरंत इसे आर्थिक बोझ का नाम देकर खारिज कर देती है। लेकिन यही तर्क सांसदों और विधायकों की पेंशन बढ़ाते समय क्यों नहीं आता?

नेताओं की पेंशन – बिना संघर्ष, बिना सवाल लागू

  • साल 2023 में सांसदों और विधायकों की सैलरी और पेंशन बढ़ा दी गई।
  • न कोई आयोग बना, न समिति गठित हुई, न कोई धरना-प्रदर्शन हुआ।
  • सत्ता और विपक्ष दोनों चुप रहे – संसद में प्रस्ताव आया और सीधे पास कर दिया गया।

कर्मचारी और शिक्षक – आंदोलन करें फिर भी अनसुना

  • सरकारी कर्मचारी और शिक्षक जब OPS की मांग करते हैं, तो कहा जाता है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भार पड़ेगा।
  • हर बार नई समितियों, आर्थिक विश्लेषण और वित्तीय संकट की बातें की जाती हैं।
  • कर्मचारियों को धरना, प्रदर्शन, अनशन तक करना पड़ता है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता।

सरकार की नीति – नेताओं के लिए \"सुविधा\", कर्मचारियों के लिए \"संघर्ष\"!

  • नेताओं की पेंशन – बिना संघर्ष, सीधे पास।
  • कर्मचारियों की पेंशन – आंदोलन के बावजूद अधर में लटकी।

पेंशन बचाओ मंच, भावरकोल, गाजीपुर की सीधी मांग

सरकार को जवाब देना होगा – अगर OPS लागू करने से आर्थिक बोझ है, तो नेताओं की बढ़ी हुई पेंशन पर वही तर्क क्यों नहीं?

ये सिर्फ पेंशन की लड़ाई नहीं है, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और अधिकार की भी लड़ाई है।

अब चुप नहीं बैठेंगे – अब आवाज़ उठानी होगी!

हर शिक्षक, कर्मचारी और जागरूक नागरिक को अब एकजुट होकर सोशल मीडिया और मैदान में उतरना होगा।

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✍ संतोष कुमार
शिक्षक | ब्लॉगर | www.extragyan2.in

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